दुनिया की करीब 7.8 अरब आबादी में से 17.5% हिस्सा भारत का है। बढ़ती आबादी का अंदाजा इस बात से लगाएं कि अगले 10 साल में वह चीन को पछाड़ दुनिया का सबसे ज्यादा आबादी वाला देश बन सकता है। हमारे देश के हर वर्ग किलोमीटर में 464 लोग बसते हैं। 1980 के दशक में हमारी जनसंख्या वृद्धि दर 2.35% थी जो अब घटकर 1% पर आ गई है।
11 जुलाई, 1987 वह दिन था जब दुनिया ने समझा कि बढ़ती आबादी पर नियंत्रण बहुत जरूरी है। संयुक्त राष्ट्र ने हर साल इस दिन को 'विश्व जनसंख्या दिवस' के रूप में मनाने की घोषणा की। हर साल थीम बदलता है और इस दिन लोगों को जनसंख्या नियंत्रण को लेकर जागरुक किया जाता है।
जनसंख्या विस्फोट का सामना कर चुका है यूपी
यूपी में 1901 से 1951 के बीच आबादी में 30% का इजाफा हुआ। हालांकि इसके बाद अगले 60 साल यानी 2011 तक 216% आबादी बढ़ गई। 2011 की जनगणना के अनुसार, यूपी की जनंसख्या में 20.23% का इजाफा हुआ। 2001 में यह दर 25% थी। हालांकि इसके बावजूद देश की जनसंख्या में यूपी का हिस्सा लगभग स्थिर है। यूपी के 57 जिले ऐसे हैं जहां का फर्टिलिटी रेट राष्ट्रीय औसत (2.1) से ज्यादा है।
घटी है आबादी बढ़ने की रफ्तार
नैशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 की रिपोर्ट्स बताती हैं कि अधिकतर राज्यों में प्रजनन की दर घटी है। यह स्थिति 20% से ज्यादा मुस्लिम आबादी वाले राज्यों में भी देखने को मिली है। अगर यही स्थिति रही है तो कई राज्यों की आबादी इस दशक में स्थिर हो सकती है।
यूपी सरकार जाने जा रही जनसंख्या नियंत्रण नीति
विश्व जनसंख्या दिवस पर उत्तर प्रदेश की सरकार 2021-30 के लिए नई जनसंख्या नीति लाने जा रही है। जनसंख्या नियंत्रण में मदद करने वालों के लिए इन्सेटिव्स का प्रावधान किया गया है। देश की सबसे ज्यादा आबादी (22 करोड़ अनुमानित) वाले राज्य की जनसंख्या नीति की प्रमुख बातें इस प्रकार हैं:
नीति का मकसद लोगों तक गर्भनिरोधी उपायों की पहुंच बढ़ाना, नवजातों और माओं में मृत्यु-दर कम करना होगा।
जिन कर्मचारियों के दो या उससे कम बच्चे होंगे, उन्हें हाउजिंग स्कीम्स और अन्य सुविधाओं में प्राथमिकता/छूट मिलेगी।
जो सरकारी नौकर दो बच्चों तक सीमित रहेंगे, उन्हें पूरी सेवा के दौरान दो अतिरिक्त इन्क्रीमेंट्स मिलेंगे। 12 महीनों के लिए पैटर्निटी/मैटर्निटी लीव और नैशनल पेंशन स्कीम में सरकार के योगदान में 3% का इजाफा।
जो सरकारी कर्मचारी नहीं हैं फिर भी जनसंख्या नियंत्रण में योगदान देते हैं, उन्हें हाउस, वाटर टैक्स इत्यादि में छूट दी जा सकती है।
अगर किसी बच्चे के माता-पिता नसबंदी कराते हैं तो उस बच्चे को 20 साल की उम्र तक मुक्त मेडिकल सुविधाएं मिलेंगी।